मुक्तिदाता
● मुक्तिदाता ● श्री राम सुन लो अरज मेरी, कामना पूरी करो।भव बंध काटो हे हरि, अब वेदना मेरी हरो।। हे मुक्तिदाता बोधमय, निज भवन में प्रभु पग धरो। विह्वल चकित अति हर्षिता, जीवन सफल मेरा हुआ।१। ये नयन देखेंगे पुनः, प्रभु राम की स्थापना।साक्षी बनूँ इस यज्ञ की, यूँ सुफल होगी कामना।। जो प्राण […]