बरसों बाद राम बिराजे,
बाजत ढोल,मृदंग और बाजे।
सारी अवध में भया उजियारा,
बैठा सिंहासन दशरथ प्यारा।
मथुरा,पुरी,उज्जैन और काशी,
देत बधाई सब भारतवासी।
बरसों बरस जो तक रही आँखें,
आज पुलकित हों भर आई आँखें।
आज अवध में कोलाहल भारी,
देस-बिदेस से पधारे नर-नारी।
सफल हुआ ये उसका जीवन,
करे इक बार जो राम के दर्सन।
बहुत तरस ली अब ये आँखें,
राम दरस को चल रही साँसे।
चल अवध को चलें मेरे भाई,
कहत भगत सब लोग लुगाई।