राम आपके स्वागत में
अनेकों दीप जलाऊ द्वारे
खीर पूड़ी बनाऊं
रुचि रुचि भोग लगाऊं।।
लक्ष्मण आपके स्वागत में
अनेकों रंगोली बनाऊं द्वारे
दीपों से अंगना सजाऊं
रोशनी से दीवारें सजाऊं।।
सिते आपके स्वागत में
मिठाइयां अनेकों बनाऊं
दीपमाला से घर सजाऊं
मिटे मिटे मालपूए बनाऊं।।
प्रिय वर आपके स्वागत में
कोई चांद अमावस में
गिरे नयनों से मोती
जग गई मन की ज्योति।।
महेन्द्र गर्ग रंगरसिया
भोपालगढ़ जोधपुर राजस्थान