राम तुम्हारे ह्रदय में, सारा जगत समाया।
सत्य, धर्म, और त्याग का तुम्हीं ने, जीवन का पथ दिखाया।
मर्यादा की मूरत तुम, आदर्शों के दीप हो।
दुख में भी मुस्कान रचते, मिसाल में अनुपम हो।
वन-वन में तुमने कष्ट सहे, पर धर्म न छोड़ा।
प्रजा के खातिर राज तजा, हर बंधन को तोड़ा।
शबरी के जूठे बेर चखे, केवट से नाता जोड़ा।
साम्य, प्रेम, और करुणा से, सारा जगत संजोया।
रावण के अभिमान को तोड़ा, अहंकार मिटाया।
सीखा सबको धर्म युद्ध, सच्चाई को अपनाया।
हर दिल में तुम बसे हुए, तुम हो जीवन आधार।
राम तुम्हारी महिमा से, उज्ज्वल सारा संसार।
जो भी तेरा नाम जपे, उसका भव पार हो जाए।
राम तुझसे प्रेम करे,उसका पथ प्रकाशित हो जाए।
कवयित्री –सीमा लोहिया झुंझुनू (राजस्थान)