आगमन है अयोध्या में,
राम का भव्य मन्दिर में।
दिवाली हम मनायेंगे,
करेंगे दर्श कण कण में।
हवाएं गीत गायेंगी,
हृदय में हार्दिक बंदन।
मेरे घर राम आयेंगे,
लगेगा माथे पे चंदन।
राम सरयू की धारा में,
राम जीवों की हलचल में।
जलेंगे द्वीप हर घर में,
तो दर्शन की लौ में।
विरह की आग में तपकर,
बनके दिन सोना आया है।
नयन में प्रेम के मोती,
माथे पे तेज छाया है।
अक्षत ही अक्षत हर घर में,
और रंग भगवा लहरायेंगे।
जो कर ले धारण केसरिया,
वो रामभक्त कहलायेंगे।।
स्वरचित
मधु कैथवार (शिक्षक)
फतेहगढ़ फर्रुखाबाद
उत्तर प्रदेश
शिक्षा- परास्नातक(English literature, economics. B. Ed)