मैं अंदर हूँ

मैं अंदर हूँ तेरे देख मुझे मैं
हूँ तेरा राम,
सच्चे दिल से जान मुझे मैं
हूँ तेरा राम।

छल कपट को त्याग कर तू
निर्मलता पा जाए,
एक आवाज लगाना मुझे मैं
हूँ तेरा राम।

सच की राह पर तू चलने से
न घबराएगा,
हाथ पकड़े पायेगा मुझे मैं
हूँ तेरा राम।

देख बुराई को जो अकेला
सब से लड़ जाएगा,
अच्छाई की उम्मीद मुझे मैं
हूँ तेरा राम।

नहीं सोने की न चाँदी की न
चाह सिक्को की,
श्रद्धा पुष्प स्वीकार मुझे मैं हूँ
तेरा राम।

कण कण में मैं बस रहा यही
सब कहते हैं,
क्या सच में है जाना मुझे मैं
हूँ तेरा राम।

न हो दिखावा न आडम्बर
तेरी भक्ति में,
भाव से झूठे बेर खिला मुझे
मैं हूँ तेरा राम।

अपनी मैं को मार कर पावन
कर ले तन मन को,
समर्पित कर खुद को मुझे मैं
हूँ तेरा राम।

हूँ मैं सबका साथी हो निर्धन
या धनवान,
क्यों कर बांटा तूने मुझे मैं
हूँ तेरा राम।

रामराज तो चाहे हर कोई
रावण जैसे मन हैं,
सबके दिल का भान मुझे
मैं हूँ तेरा राम।

माँ बाप को अपमानित न
करना कभी,
उनके चरणों में देखना मुझे
मैं हूँ तेरा राम।

राम राम बस राम ही कहना
दो अक्षर ही काफी हैं,
आत्मा से ध्याना मुझे मैं हूँ
तेरा राम।

सीमा शर्मा