श्री राम स्तुति
जय- जय रघुनंदन,सब दुख भंजन,भक्तन के हितकारी।
जय सब सुख सागर ,अवध प्रभाकर, भव भय भंजन हारी।
माने पितु वचना,पंकज नयना,शुभ समता हिय धारी।
सह सिय लघु भ्राता,वंदन माता,जाते विपिन बिहारी।
गंगा तट आये,पाँव धुलाये, केवट पार उतारे ।
मुनि आज्ञा पाई ,कुटी बनाई,भरत नेह उर धारे।
खरदूषण मारे,निशिचर सारे,शूर्पणखा बिलखाई।
रिपु हरि वैदेही,ढूँढत नेही,हनु सुग्रीव मिताई।
कपि संग सुहाया ,सेतु बँधाया,पूज शंभु रघुराई।
गढ़ लंक उजारा,रावण मारा,मुक्त सिया सुख पाई।
आये रघुराई, हर्षित भाई,
मुदित मात परिवारा।
गुरु वचन सुहाए,पुरजन भाए,तिलक विधान सँवारा।
सुख अवध समाजा, रघुवर राजा,सिया साथ सब भ्राता।
जय जय रघुनायक, हनुमत पायक, प्रणत पाल सुखदाता।।
पुष्पाशर्मा ‘कुसुम’