जो तुम आ जाते एक बार

राम

जो तुम आ जाते एक बार ,
तो बेड़ा हो जाता सबका पार।

हम नव दीप जलाते,
उपवन में फूल खिल जाते।

काम क्रोध मद मोह मिटाते ,
लोभ को दूर भगाते।

हम सबकी मिट जाती पीर ,
हम ख़ुशी से हृदय देते चीर ।

राम जो तुम आ जाते एक बार ।

यहाँ सच्चाई रोती है बेचारी,
यहाँ झूठ की महिमा है भारी ।


आ कर कुछ तो करते जतन ,
आ कर धर्म का रोकते पतन ।

राम जो तुम आ जाते एक बार ।

लाते कुछ तो तोड़ ,
रोकते अंधी होडम होड़ ,

होती पितृ भक्ति की जय जय कर ,
होता भरत लक्ष्मण भाई सा प्यार ।

राम जो तुम आ जाते एक बार ।

राम जो तुम ठान लेते एक बार,
पापियों का हो जाता बँटाधार।

राम जो तुम ठान लेते एक बार,
देशद्रोहियों का हो जाता सत्यानाश ।

राम जो तुम आ जाते एक बार ।

सुखी हो जाता संसार ,
दुःखी न रहता कोई ।

विद्या बुद्धि का होता राज ,
धन धान्य से वंचित रहता न कोई ।

डा॰ ( श्री मती) प्रवीण शर्मा
रिटायर्ड प्रिंसिपल