मुझ में राम तुझ में राम

🙏🙏 राम 🙏🙏

मुझ में राम तुझ में राम, कण-कण में राम समाया है ।
त्याग में राम तपस्या में राम,
हर आहुति यज्ञ में राम बताया है ।
प्रेम में राम राग -द्वेष में राम, मोह-तृष्णा राम की माया है।
कर्म में राम धर्म में राम, अभिमान-शर्म में राम समाया है।
साधु -संतों में राम नाथ- पंथ में राम,फकीर -गृहस्थ में राम पाया है।
पेड़ -पौधों में राम फूलों -फलों में राम,धरती अंबर – समुद्र सब राम ने बनाया है।
हर जीव का कर्ता -धरता राम, बताया फिर क्यों मूर्ख मेरा- मेरी के अहं में भरमाया हैं।
दुनिया सारी मृग मरीचिका -सी माया, जिसमें अमूल्य जीवन व्यर्थ गवाया है ।
क्या लाया क्या लेकर जाना, सबको पता खाली हाथ आया- खाली हाथ ही जाना है।
क्यों झूठा घमंड दिखाना, अपनी- अपनी बारी सबने नाच दिखाया है।
मदारी बनकर खेल दिखाया, मानव धर्म सब ने निभाया है।
कहीं अकड़े कहीं झुक जाना, प्रकृति का नियम बदलते रहना है।
जीवन डगर पर नीत कदम बढ़ाना, जैसे किए कर्म नर फल वैसा ही पाना है।
जो बोया वहीं काट कर खाना , जो पाया वह खोना निश्चित फिर क्यों रो-रो कर दिखाना है।
जो मंजूर राम को वो सब करते जाना,बिना राम की मर्जी नहीं सांस का आना-जाना हैं।
करके कर्म इस जग में मानव धर्म निभाना, राम बनाए राम को ही सब मिटाना है।
सुधा ने तो अपने को दास राम का माना फिर चाहे कुछ भी कहे जमाना है।
ना डरना ना घबराना प्रति -दिन राम, वंदना करते जाना राम वंदना करते जाना है।
🙏 डॉ सुधा यादव (रेवाड़ी)🙏