” राम “
तेरे सारे रूप हैं, तेरे सारे नाम,
करते हैं तुमको प्रभु, कोटि कोटि प्रणाम!
जय श्री राम–जयश् श्री राम
ब्रह्मा,विष्णु,महेश तू ही, सरस्वती, गणेश,
जो भी इनको पूजता,मिटते सभी कलेश,
जय श्री राम– जय श्री राम
कण- कण में तेरा वास है,सबको तेरीआस,
पूर्ण होते काज सब,जो करता—- विश्वास!
जय श्री राम–जयश्रीराम
जीव जगत में आता है, बिल्कुल खाली हाथ,
रह जाता सबकुछ यहां,कुछ नहीं जाता साथ!
जय श्री राम –जय श्री राम
जीते जी का शोर है,खुली आंख—– का खेल,
मिथ्या सब संसार है,झूठी रेलमपेल !
जय श्री राम –जय श्री राम
दिल की बाज़ी हार कर, कौन —सका है जीत,
सांचा प्रभु का नाम है,सबका हैं—— मनमीत!
जय श्री राम –जय श्री राम
चले जो सच की राह पर, प्रभु करें—- कल्याण,
जीवन में खुशियां मिलें,कहे– “मुसाफ़िर ज्ञान “!
जय श्री राम –जय श्री राम
जी एस”मुसाफ़िर