शीर्षक-बाबाजी ने झंडी फेरी
बाबाजीने झंडी फेरी किस्मत बदलगई।
राम गए मन में रावण सिया चुराइलई।
सिया सुधिलाने की सौगंध खाइलई।।
अंजनी मांने जन्मे उनकीकोख धन्यभई
पवन खिलाय गोद उनकीगोद धन्यभई।
लंका को पार करके मुदरी गिराइ दई
रोती हुई सिया माँ को धीर बँधाइ दई।
वन-फल खाए और वाटिका उजाड़ दई
कछु रखवाले मारेकछुकोमूर्छाआइगई।
रावण खिसिआय पूँछमें आग लगाइदई
छुद्र रूप धरके सारी लंक जराइ दई ।
लंका में जायकें पूँछ बुझाय लई
चूडा़मणि ले सियमाँसे विदा लेलई।
राम ढिंग आइके सिया सुधि दे दई
सिया सुधि लाने की सौगंध निभाइ दई।
पुँढीर लिखे भजन लिखतीही जाइरही
माँके वीर कहाये ये मांकी कृपा हो रही।
स्वरचित
कवयित्री राजवाला पुँढीर
एटा,उत्तर प्रदेश