क्यों भूल रहे हैं आज हमआदर्श हमारे राम हैं।

श्री राम

क्यों भूल रहे हैं आज हम
आदर्श हमारे राम हैं।
लड़ते सदा पापियों से
संघर्ष हमारे राम हैं।
राम मिले हैं निर्मलता की छांव में
राम मिले हर शहर गली व गांव में।।

राम बसे हैं कण कण में
सरवन के भी नीर में।
राम बसे हैं रामायण में
लक्ष्मण वाले तीर में।
राम बसे हैं मा सती अनुसुइया में
राम मिले हैं देखो सीता मैया में।।

राम नहीं हैं चाकू छुरी दरांती में
राम मिले हैं हनुमान की छाती में।
राम नहीं रहते दुष्ट आत्मघाती में
राम जटायु के भाई संपाति में।
जहां सत्य होता है
वहां राम वास का होता है।
वचन निभाने के लिए
वनवास राम का होता है।।


राम नहीं हैं सुनो मजहब के झंडे में
राम नहीं बंदूक लाठी डंडे में
राम नहीं बिल्कुल राजनीति के फंडे में
राम मिलेंगे तुम्हें तिरंगे झंडे में।।

राम नहीं है छप्पन भोग कलेवा में
राम नहीं है दूध दही और मेवा में
राम नहीं हैं जन्म मरण के टेबा में
राम मिलेंगे मात पिता की सेवा में।।

राम नहीं हैं अमरीका और लंदन में
राम नहीं ढोंगी संतों के वंदन में
राम नहीं हैं सुनो किसी के बंधन में
राम मिलेंगे शहीदों के अभिनंदन में।।

राम नहीं है धन दौलत के ढेरों में
राम नहीं हैं काले नाग सपेरों में
राम नहीं हैं झूठे मन से टेरों में
राम मिले हैं सदा ही झूठे बेरों में।।

राम नहीं हैं टीवी और अखबारों में
राम नहीं है महल और मीनारों में
राम नहीं है पापी और हत्यारों में
राम मिले हैं गंगा जी की धारों में।

राम नहीं खेले गए सिंहासन के लिए दांव में
राम नहीं है राजनीति के राजाओं के पांव में
राम नहीं है द्वेष छल कपट वाले भाव में
राम मिले हैं सदां सुनो केवट वाली नाव में।।

राम नहीं है केवल सुनो अमीरों के
राम नहीं भूखे हैं मोती हीरों के
राम नहीं केवल सागर तट के वासी हैं
मन से भजलो आप राम को वो घट घट के वासी हैं।।

राम नाम लेकर देखो
हल मिल जाएगा शंका का।
सर्वनाश कर दिया था
पापी रावण की लंका का।।

राम नहीं है संसद के गलियारों में
राम नहीं केवल मंदिर मस्जिद की दीवारों में
राम नहीं है केवल चर्च और गुरद्वारों में
राम नहीं है केवल बगिया और बहारों में
राम मिलेंगे निर्धन बेसहारों में
राम मिलेंगे भूखे और लाचारों
राम मिलेंगे निर्धन की अश्रु धारों में
राम मिलेंगे लक्ष्मण की पुकारों में।।
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