बाबाजी ने झंडी फेरी
बाबाजीने झंडी फेरी किस्मत बदलगई।
राम गए मन में रावण सिया चुराइ लई।
सिया सुधिलाने की सौगंध खाइ लई।।
अंजनी मांने जन्मे उनकी कोख धन्य भई
पवन खिलाय गोद उनकी गोद धन्य भई।
लंका को पार करके मुदरी गिराइ दई
रोती हुई सिया माँ को धीर बँधाइ दई।
वन-फल खाए और वाटिका उजाड़ दई
कछु रखवाले मारे कछु को मूर्छाआइ गई।
रावण खिसिआय पूँछमें आग लगाइदई
छुद्र रूप धरके सारी लंक जराइ दई ।
लंका में जायकें पूँछ बुझाय लई
चूडा़मणि ले सिय माँ से विदा ले लई।
राम ढिंग आइ के सिया सुधि दे दई
सिया सुधि लाने की सौगंध निभाइ दई।
पुँढीर लिखे भजन लिखती ही जाइ रही
माँके वीर कहाये ये मां की कृपा हो रही।
स्वरचित
कवयित्री राजवाला पुँढीर