शान्ति के प्रस्ताव जब ठुकराए गये,
शान्ति के हल सदा युद्ध से पाए गये।
रावण का अभिमान जब बढने लगा,
मानमर्दन को हनुमान थे पठाए गये ।।1।।
मर्यादा पुरषोत्तम जब उकसाये गये,
विनय छोड़,धनुष बाण उठाये गये।
राम को भी श्री राम बनने के लिये
थे युद्ध के कौशल,सिखलाये गये।।2।।
शान्ति के प्रस्ताव होते हैं निरर्थक ,
जब तलक शक्ति से डराये न गये।
इतिहास साक्षी ,बिना भय के अरि ,
कभी सन्धि पटल,पर लाये न गये।।3।।
आचरण की शुचिता जो अपनायेगा,
उसकी गणना सज्जनों मे की जायेगी।
रावण दहन इस धरा हर साल होगा,
राम की मर्यादा, सर्वत्र पूजी जायेगी।4।।
शान्ति के प्रस्ताव जब ठुकराए गये ,
शान्ति के हल सदा युद्ध से पाए गये।।
Shripati Rastogi
9721388339