जीवन का अनुबंध जानने, प्रियजन रामायण पढ़ना ।
त्रेता युग की राम कथा पढ़, मानव तुम चिंतन करना ।।
मर्यादित जीवन जीने को, करो कथा का पारायण ।
भ्रात सरीखे सम्बन्धों की, कथा बताती रामायण ।।
शासन के अधिकारी अग्रज, बोल भरत ने सुख त्यागा ।
केवट जैसी रहे भावना, करते वे ही भव तारण ।।
लक्ष्मण रेखा कभी न लाँघे, इसका ध्यान सदा रखना ।
राम नाम से काज सफल हो, हनुमत यही जताते है ।
भक्ति भावना कितनी दिल में,सीना फाड़ दिखाते है ।।
स्वर्ण हिरण का लालच हो तो, मिलता है केवल धोखा ।
कथा हमें ये सिया हरण की, तुलसी दास बताते है ।।
तैर रहे थे पत्थर जिससे, उनका नाम सदा जपना ।
बढा उपद्रव दानव दल का, तब प्रभु ने अवतार लिया ।।
छोड़ सिंहासन वन-वन भटके, राज मोह को त्याग दिया ।
इच्छाओ पर करे नियंत्रण, कठिन समय में धैर्य रखें ।
अपने कुल की मर्यादा का, वचन निभा सम्मान किया ।।
मर्यादित जीवन अपनाने, मर्यादित भाव समझना ।
आदिवासी निषादराज को, प्रभु ने ही गले लगाया ।
वानर भालू और जटायूँ, सबने ही कर्तव्य निभाया ।।
शबरी जैसी भक्ति भाव ही, भव सागर पार उतारे ।
सीता राम बसे है दिल में, राम दूत ने दिखलाया ।।
वनवासी को मित्र बनाकर, सबको साथ लिए चलना ।
– लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला