आज का दिन वीर हनूमान के लिए.
तेज के निधान, ज्ञानवान के लिए.
रोम रोम जिसका, राम राम हो गया,
राम बन गया ! जो सियाराम के लिए.
अंजनी का लाल या कि पूत पवन का,
अहसान बन गया,स्वयं भगवान के लिए.
आजन्म ब्रह्मचारी था,दुनियां का नूर था,
भक्ति में डूबा मगर, पहचान के लिए.
सागर भी पार कर गया सीता की खोज में,
भक्ति को शक्ति मिल गई,सम्मान के लिए.
आज का दिन वीर हनूमान के लिए.
तेज के निधान, ज्ञानवान के लिए.
@ गीतकार प्रमोद मिश्र”निर्मल”
(ग्रेटर नोएडा) ( स्वरचित रचना)