मंदिर ऐसा बनेगा अवध में,
जो बस जाएगा सबके मन में।
ऐसी ऊंची इमारत बनेगी,
जिसकी चोटी दिखेगी गगन में,
मंदिर ऐसा बनेगा अवध में।
जो बस जाएगा सबके मन में।
ऐसी मूरत सजेगी भवन में,
जो बस जाएगी हर नयन में,
मंदिर ऐसा बनेगा अवध में।
जो बस जाएगा सबके मन में।
ऐसी जगमग होगी भवन में,
जैसे तारों की झिलमिल गगन में,
मंदिर ऐसा बनेगा अवध में।
जो बस जाएगा सबके मन में।
मुक्ता वार्ष्णेय
गाजियाबाद (उ०प्र०)
न० – 09810895664