
राम आदर्श,
जो हर क्षण देते,
हैं परामर्श ।
राम हमारे।
सूरज जैसे तेज,
कितने प्यारे।
राम हैं धर्म,
भारत की है शान ,
देश की आन।
राम है सत्य ,
रावण हैअसत्य ,
जो है वीभत्स।
राम भजन
करें मन आंगन,
धूप चंदन।
राम के भक्त,
होते नहीं आसक्त,
यह है सत्य।
सत्य की जीत,
असत्य की हो हार,
यही है रीत।
राम लखन,
सरिता जैसा मन
कष्ट हरन।
कौशल्या माता,
राम हैं चार भ्राता,
जग विधाता।
राम आराध्य,
सबके सुख दाता,
ये जग जस गाता।
बृंदावन राय सरल
सागर एमपी
मोबाइल 7869218525
स्वरचित व मौलिक