पावन दर्शन राम का, अवध पुरी शुभ धाम।
भव संकट के ताप से, तारे प्रभु का नाम।।
सरयू पावन नीर है, मुक्ति मोक्ष मय तीर।
सकल अवध है राम मय, तज दूँ यहीं शरीर।।
पूरित होती कामना,कटे कष्ट अविराम ।
राम नाम अति शोभना, जपिये आठो याम।
सीता के आराध्य प्रभु, निर्झर प्रीति अगाध।
संचित श्रेष्ठ गुणांक हैं, शुभमय शोभित साध।।
सकल सृष्टि के नाथ हैं, पुरुषोत्तम श्रीराम।
करुणा सागर कर्म प्रिय, पाप विमोचक धाम।।
पावन सच्चे साधु जो, करिये उनका साथ।
ढोंगी साधु जानकर, छोड़ें उनका हाथ।।
शबरी माता टेरती, पावन प्रभु का नाम।
तार दिया प्रभु राम ने, भेज मोक्ष के धाम।।
नारि अहिल्या वेदना, को समझे रघुवीर।
पाहन को मानव किया, हरी दीन की पीर।।
भक्त करे आराधना, भक्ति भाव रस साथ।
हैं दयालु श्री राम प्रभु, पकड़े दुख में हाथ।।
राम कृपा के कुंज हैं, सुख -समृद्धि दातार।
प्रेरित पथ परमार्थ के, सकल सृष्टि सरकार।।
स्नेहलता पाण्डेय ‘स्नेह’
मौलिक और स्वरचित