राधिका छंद में एक कृति माँ शारदे को समर्पित

(लय–दुख हरो द्वारिका नाथ, शरण मै तेरी)
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प्रभु राम लीन्ह अवतार , कोशला धामा।
हरि रखा चतुर्भुज रूप,सोह अभिरामा।।
ब्रम्हाण्ड कोटि प्रति रोम , कहे श्रुति वेदा।
साधक सम साधन साध्य, न कोई भेदा।।

जब लखा अलौकिक रूप, मात अनुमाना।
है झूँठ रहे मम गर्भ , राज सब जाना ।।
यह हरि इच्छा मन मानि ,सहज सुखु माना।
प्रभु दीन्ह मधुर मुस्काय ,ज्ञान पहचाना।।

जब राम कृपा के मेह, नेह बनि सोहे।
तब माँ उर उपजी भक्ति, भक्ति हरि मोहे।।
पढ़ि मातु अबोले बोल ,अनादि सुजाना।
लीन्हा झट से शिशु रूप , कि रोदन ठाना।

यह जटिल राम अवतार, सुभग सुख शीला।
बिन गये मातु के गर्भ , करी सुत लीला ।।
है शक्ति स्वरूपा भक्ति , देखिए भाई।
दे ज्ञान मात्र मुस्कान ,सके न रुलाई।।

💐💐💐 गोप कुमार मिश्र 💐💐💐💐💐