राम-मंदिर…

राम-मंदिर…

भारतवर्ष में मच रही है धूम,
तेरे प्राण- प्रतिष्ठान की… !
देश भर है अब एक ही चर्चा,
हे-राम तेरे मंदिर निर्माण की… !!

भव्य बन गया है तेरा मंदर,
सरयू घाट अयोध्या अंदर… !
पूज रहे तुझे विप्र, नर-नारी,
बाट जोहते स्वयं कल्याण की… !!
देश भर है अब एक ही चर्चा,
हे-राम तेरे मंदिर निर्माण की… !!

तेरा आज़ स्वरूप बदल दिया,
हम मौका-परस्ती लोगों ने… !
राजनीति की भेंट चढ़ा दी,
तस्वीरें तेरी और हनुमान की… !!
देश भर है अब एक ही चर्चा,
हे-राम तेरे मंदिर निर्माण की… !!

पनप रहे हैं आज आडंबर धंधे, सब तेरी ही तो आड़ में… !
चहुँ ओर गूँज रही वैनस्यता,
मज़दूरों और किसान की… !!
देश भर है अब एक ही चर्चा,
हे-राम तेरे मंदिर निर्माण की… !!

तेरी मर्ज़ी का लेकर सहारा,
बच जाते कई दुराचारी… !
नारी आज भी बनी है अबला, ‘विमल’आवाज़ न ऊंची मचान की… !!
देश भर है अब एक ही चर्चा,
हे-राम तेरे मंदिर निर्माण की… !!

विमल फरीदाबादी