जन-जन में राम , मन- मन में राम ।

” राम “
जन-जन में राम , मन- मन में राम ।
कण- कण में राम , पग -पग में राम ।
मेरे राम ,तेरे राम ,सबके राम
बोलो जय श्री राम, जय श्री राम।।

अयोध्या के वासी राम।
रघुकुल के कहलाए राम।
गुरु वशिष्ठ के शिष्य राम।
हम सबके के पालनहार।
विष्णु के सप्तम अवतार कौशल्या के प्यारे लाल।
किया शबरी और अहिल्या का कल्याण।
मेरे राम तेरे राम सबके राम
बोलों जय श्री राम ।।

एक शब्द में सारे संसार का नाम
हनुमान के आराध्य राम
राम है मर्यादा का धाम।।
हमारा अस्तित्व हमारी
पहचान ।
उनका करें हम नित गुणगान।
अधर्म को मिटाया किया धर्म का उत्थान ।
पूरे विश्व में गूंज रहा दशरथनंदन का कीर्तिमान।
मेरे राम तेरे राम सबके राम बोलो जय श्री राम ।।

दिशा दिशा है यही पैगाम
सनातन धर्म को है प्रणाम ।
जब लिखा कागज़ पर राम का नाम ।
कलम बोल उठी हो गए चारों धाम ।।
मेरे राम , तेरे राम , सबके राम बोलों जय श्री राम ।।

लोकेश चौधरी “क्रांति” गुरुग्राम