प्रभु श्री राम विषयक रचना
(गीत)
स्वागत, वंदन, अभिनंदन
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हैं निज धाम पधार रहे कौशल्या सुत रघुकुल नंदन ।
आओ सब मिल करें राम का स्वागत, वंदन-अभिनंदन ।।
पलक पाँवड़े बिछा-बिछा कितने ही वर्षों पथ देखा ।
शीघ्र संवरने वाली है हम सबकी किस्मत की रेखा ।।
अपने प्रभु को करें समर्पित अक्षत, रोली और चंदन ।
आओ सब मिल करें राम का स्वागत, वंदन-अभिनंदन ।।
कदम-कदम पर नास्तिकों ने शुभ कार्यों में विष घोला ।
अपने मन में भरी हुई कड़वाहट पग-पग पर खोला ।।
करने दो इन सबको यूं ही इसी तरह घुट-घुट क्रंदन ।
आओ हम सब करें राम का स्वागत, वंदन-अभिनंदन ।।
होकर छलियों ने असंयमित कितने छल व प्रपंच रचे ।
बना बनाकर के ठग-बंधन सब खलनायक संग मचे ।।
खर, मारीच, सुबाहु सदृश सा करने दो उनको मंचन ।
आओ सब मिल करें राम का स्वागत, वंदन, अभिनंदन ।।
जय जयकार सनातन की और सनातनी रखवालों की ।
राम नाम की मस्ती में डूबके झूमते उन मतवालों की ।।
“प्रणय” कर गए राम नाम हित जो सारा जीवन अर्पण ।
आओ सब मिल करें राम का स्वागत, वंदन, अभिनंदन ।।
हैं निज धाम पधार रहे कौशल्या सुत रघुकुल नंदन ।
आओ सब मिल करें राम का स्वागत, वंदन-अभिनंदन ।।
रचनाकार –
इंजी. प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव “प्रणय”
सीतापुर उत्तर प्रदेश
स्वरचित, मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
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