वापसी
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वापसी की आस में
निज नयन दीपक सजाए
द्वार पर बैठी है उर्मि
राह में पलकें बिछाए
पीर है बिरह की, बिरहन
जी रही इस आस में
लौट के आएंगें लक्ष्मण
बस इसी विश्वास में
मन मे मूरत है लखन की
लब पे लक्ष्मण नाम है
सांत्वना देती है खुद को
साथ उनके राम है
# अमिताभ शर्मा