“श्री राम सखा वानर”
हम वानर हैं, कपि हैं,वन में विचरते हैं।
फूल फल पत्ते खाते हैं स्वछंद फिरते हैं ।।
महावीर हनुमान ,सुग्रीव हमारे भाई थे ।
राम के हम सखा, राम के अनुयायी थे।।
द्वापर में हम किष्किंधापुरी में रहते थे।
बाली और सुग्रीव जहां राज करते थे।।
मां सीता की खोज में हम वन वन भटके थे।
खोज मिलते ही हम लंकापुरी पर झपटे थे।।
हम मानव बोली में बातें किया करते थे।
वीर बलशाली हम जोखिम से न डरते थे।।
वीर हनुमान ने लंका का पता लगाया था।
सबक सिखाने लंका पुरी को जलाया था ।।
चतुर नल नील ने रामसेतु बनाया था ।
अंगद ने पांव जमा बल को बताया था ।।
रावण सेना को नाकों चने चबवाए थे।
राम और सीता आपस में मिलवाए थे।।
मीरारामनिवास