राम बसते हैं

“श्री राम”

राम बसते हैं,
भारत के जन -जन में।
राम रमते हैं मानस सरोवर में।
राम चित्त की निश्छलता है।
राम कर्म की पावनता है।
राम संबन्धों की शुचि सुगन्ध,
राम मुक्ति का सहज अनुबंध।
राम मर्यादा पुरुषोत्तम,
राम का चरित्र उत्तमोत्तम।
राम आदर्शों का ज्वलन्त रूप,
राम धर्म का मूर्त स्वरूप।
कुसुम से कोमल हृदय,
वज्र से कठोर निर्णय।
जटायु पर करुणा बरसाई,
सुग्रीव से मित्रता निभाई।
सम्मान निषाद का,
कृपा शबरी पर।
शरणागत विभीषण को,
दिया लंक राजतिलक।
बाँध सिंधु ,
कर लंक विजय।
दनुज संहारे,
अनुज सिय संग
अवध पधारे।
राजा राम
अवध रजधानी।
संतों ने महिमा बखानी।
निर्मल मन में बसे राम,
संतन के रखवाले राम।
प्रेम सिंधु नयनाभिराम,
राम सम केवल है श्री राम।


पुष्पाशर्मा”कुसुम”