🌷-:लक्ष्मण उर्मिल संवाद:- 🌷
शोक का मन से अपने हरण कीजिए।
हे प्रभु!धर्म का अनुसरण कीजिए।।
मैं निभाऊंगी प्राणों से बढ़कर वचन।
आप श्री राम का अनुकरण कीजिए।।
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ये परीक्षा का व्रत अब हमें दीजिए।
पूरण आप अपना संकल्प कीजिए।।
मैं प्रतीक्षा की घड़ियों की संबल बनूं।
ऐसा स्वामी मुझे एक वर दीजिए।।
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सशंय सारे ही अपने तज दीजिए जिए।
अपने चरणों की मुझको रज दीजिए।
सौंपकर अन्तर्मन कुछ क्षणों के लिए।
अपने भ्राता धर्म का वरण कीजिए।।
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अर्चना वर्मा
दिल्ली