स्वरचित मौलिक रचना –
शीर्षक-
रघुवर तुमको आना होगा
तुलसी बाबा ने दिया दुनियां को सन्देश,
सीता का संग चाहिए तो धरो राम का वेष।
रमापति राम जी को सर्वप्रथम प्रणाम करते हैं,
पुरुषोत्तम राम की महिमा का हम गुणगान करते हैं।।
लिया जो नाम रघुवर का,उजाला दिल में भरता है,
धधकते मन के शोलों पर, जो शीतल धार बनता है।
रची तुलसी ने रामायण सुखों की खान दे दी है,
राम सीता जहां बसते हिन्द की शान रख दी है ।
सवैया, छंद, चौपाई, कोई तलवार जैसे हैं,
अंधेरे हों हृदय में तो, पलों में काट देते हैं
उमा,रमा,शबरी,अनुसुइया घर – घर में देखी जाती हैं,
त्याग तपस्या की ये मूरत बस भारत में मिल पातीं हैं।
जब – जब रामनवमी आये,देखे राम की लीला दुनियां।
सबकी जुबां पर रटी कहानी, फिर भी नहीं ऊबती दुनियां।
इक- इक दोहा रामायण का, जीवन को आसान करेगा।
बीच भंवर में फंसी हो नौका, पल में बेड़ा पार करेगा।
राम नाम के लिखने भर से,पत्थर फूल से हल्के बनते,
तैर गए गंगा के तट पर, राम सेतू का पुल हैं बनते।
हे रघुबर इस कलियुग में, जल्दी तुमको आना होगा,
मर्यादा पुरुषोत्तम बनके,भटकों को राह दिखाना होगा।
जय श्री राम का नारा लेकर, कलम से केवल सत्य लिखेगें,
भव्य अयोध्या के मंदिर में, राम सिया के दरस करेंगे।
पुनीता सिंह दिल्ली
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