श्री राम आप फिर आना

कलयुग वाली नई सदी है
संकट में है जमाना
इस धरती में कष्ट बहुत हैं
श्री राम आप फिर आना।
भाई-भाई बने हैं दुश्मन
मित्रों में भी प्यार कहाँ
अँधों की नगरी में होता
दर्पण का व्यापार यहाँ
इस सूखी बंजर भूमि पर
प्रेम के पुष्प खिलाना
इस जगती में कष्ट बहुत हैं
श्री राम आप फिर आना ।

पिता पुत्र को कंधे देते
क्या ये मुश्किल काम नहीं
दशरथ तो जीवित रहते हैं
उनके बेटे राम नहीं
फिर ना कड़ी परीक्षा लेना
फिर ना कभी आज़माना
इस जगती में कष्ट बहुत हैं
श्री राम आप फिर आना ।

पढ़े-लिखे भी अनपढ़ से हैं
उनको पूरा ज्ञान नहीं
मात-पिता और वृद्धजनों का
करते वे सम्मान नहीं
ज्ञान का उजला दीपक लेकर
इनको राह दिखाना
इस जगती में कष्ट बहुत हैं
श्रा राम आप फिर आना ।

त्रेता में इक रावण मारा
अब भी खड़े तैयार हज़ार
भारत की हर इक सीता का
आकर अब करिये उद्धार
पाप के जितने भी रावण हैं
आ उनको मार गिराना
इस जगती में कष्ट बहुत हैं
श्री राम आप फिर आना ।

जड़ें देश की खोद रहे जो
लाखों हैं ऐसे गद्दार
दीन -धर्म के नाम पे करते
इंसानों पर अत्याचार
देश के ऐसे ग़द्दारों से
भारत माँ को बचाना
इस जगती में कष्ट बहुत हैं
श्री राम आप फिर आना ।

महामारी इक फैली ऐसी
हम सब जिससे त्रस्त हुए
धरती ज्यों श्मशान बनी
और घर कितने ही ध्वस्त हुए
महारोग के इस दानव को
अब जग से दूर भगाना
कलयुग वाली नई सदी में
राम-राज्य फिर लाना
इस जगती में कष्ट बहुत हैं
श्री राम आप फिर आना ।

कमल कपूर
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