कर्मों का फल
कर्मों का फल——————–उम्मीद नहीं थी राजा दशरथ को रानी कैकेई ऐसा वर भी मांगेगी। अपने ही लाडले राम को वह वन में भेजना चाहेंगी। होनहार यह कैसी राजा दशरथ का मंन डोला।अरे रानी फिर से तो सोचो भला यह तुमने क्या बोला ? राजा गिडगिडाते रहे पर रानी तो चुप खड़ी थी।अपनी एक ही बात […]