प्रभु श्री राम पर एक गीत प्रस्तुत है।
राम राम तुम्हारा अभिनंदन है,धरती पर फिर आ जाओ। विश्व घिरा है अंधकार में, पवन ज्योति जाग जाओ।।
विजय दिवस पर सत्य,न्याय का, ध्वज आकर फहराना है।
दुष्टों का संहार है करना,राम राज फिर लाना है ।।
क्षत्रीपन का अपना पौरुष, आकर फिर दिखला जाओ।राम तुम्हारा अभिनंदन है ,धरती पर फिर आ जाओ।।
अंतर्द्वद मचा है कितना, अब सद्भाव जगाना है ।
कण-कण में तुम बसने वाले, प्रेम संदेश सुनना है ।।
भटक रहा यह देश आज फिर, राह इसे दिखला जाओ।
राम तुम्हारा अभिनंदन है धरती पर फिर आ जाओ।।
क्या साहस कम हुआ तुम्हारा, या दुष्टों से घबराते हो।
लखन को लेकर साथ प्रभु तुम, क्यों न यहाॅं पर आते हो।
मतभेदों से देश यह उबरे, ऐसी भावना भर जाओ। राम तुम्हारा अभिनंदन है, धरती पर फिर आ जाओ ।।विश्व घिरा है अंधकार में, पावन ज्योति जगा जाओ।
प्रस्तुत कर्ता- रवेन्द्र पाल सिंह ,रसिक,
मथुरा(उ.प्र.)