मर्यादा का पाठ पढ़ाते घर घर हैं सब लोग
राम शिलाएं आकर छूलो घर पर हैं सब लोग।
बने अहिल्या घूम रहे हैं पत्थर जैसे लोग
भगवा धारण कर लेना ही मान रहे हैं जोग
कोप भवन के अंधियारे में पत्थर हैं सब लोग
राम शिलाएं आकर छूलो घर पर हैं सब लोग।
मर्यादा का पाठ पढ़ाते……
केवट बन के पार उतारे तुझको दाता राम
भले छेड़ना पड़े दुबारा तिरलोकी संग्राम
नैन नक्श नित नए उतारें बुत-गर हैं सब लोग
राम शिलाएं आकर छूलो घर पर हैं सब लोग।
मर्यादा का पाठ पढ़ाते……
राम राज स्थापित होगा लिया प्रण जब ठान
अश्वमेघ के घोड़े दौड़े लिए हथेली प्रान
आचार्य हो करें रुकावट ख़ुद-सर हैं सब लोग
राम शिलाएं आकर छूलो घर पर हैं सब लोग।
मर्यादा का पाठ पढ़ाते……
संजीव निगम “अनाम”