गीत
राम लला की शोभा अद्भुत, अद्भुत महल दुआर बना।
तीर्थ अयोध्या जगमग होगा झिलमिल मन का तार तना।
जनक पुरी से आई गृहस्थी वृंदावन से शंख सखा ।
जाने कितने स्वर्ण आभूषण पायल तक में मोर पखा।
एक तिलक त्रेता युग में था कलयुग में जयकार ठना।
तीर्थ अयोध्या जगमग होगा …..
रामायण सोने की आई धनुष बाण भी सोने का।
अँधी श्रद्धा हो जिसके उसको ग़म क्या कुछ खोने का।
पापी तो हर युग में आए एक नहीं संसार सना।
तीर्थ अयोध्या जगमग होगा …..
साँसों का साँसों से बंधन बंधक से ही रिश्ता है।
सांँस टूट जाएगी जिस दिन राम नाम तब भी मिलता है।
अबके बरस को सजदा है राजनीति आधार चुना।
तीर्थ अयोध्या जगमग होगा….
भव्य बना है मंदिर भावन और आस्था पावन है।
राम सिया और लखन लला सँग मूरत बहुत लुभावन है।
झूम रही सरयू और गंगा राम राम झंकार बुना।
तीर्थ अयोध्या जगमग होगा..!!
—–दीपाञ्जली दुबे ‘दीप’