1
राम भवन निर्माण पर, कितने हुए बवाल।
सारे उत्तर मिल गये ,पूछे कौन सवाल।।
2
दुनिया चकित देख रही,कायम हुई मिसाल।
राम आपके आने से,भारत हुआ निहाल ।।
3
शबरी जैसी बन करूॅं,शबरी जैसे काम
रटे जिह्वा बस रात दिन ,राम राम जय राम।।
4
मर्यादा का नाम है, केवल इक श्रीराम
जो मर्यादा पथ चलें ,बनते बिगड़े काम ।।
5
नाव बैठे केवट की ,उतरे गंगा तीर। दक्षिणा में हरी प्रभु ने , जन्म-जन्म की पीर।।
6
राम नाम की नाव में, चढ़ जो उतरे पार।
राम नाम में हैं छिपा ,इस जीवन का सार।।
7
राम राम रटती रही, मैं तो दिन औ रात
पग-पग सुख मिलते गये,दूर रहें आघात ।।
8
सीखा था जो राम से, सभी बांध लो गाॅंठ
दोहराने हैं अब हमें , नैतिकता के पाठ ।।
9
कलयुग में प्रकटे राम, लगी अवध में भीड़।
पशु पक्षी नर्तन करें, छोड़- छोड़कर नीड़।।
10
सरयू अनुनय कर रही ,छूने भी दो पाॅंव
पेड़ मचल कर कह रहे , बैठो मेरी छाॅंव
11
धर्म परायण राम थे, उन जैसा है कौन।
पीड़ा सही राघव ने,हरदम रहकर मौन।।
12
वैरी भी आदर करें, ऐसे राम महान।।
कण कण में व्याप्ति मिले,उनके अमिट निशान।।
13
केवट से बोले प्रभु ई,ले चल गंगा पार।
चरण पखारूॅं राम के,है मेरा अधिकार।।
14
प्रेम विह्वल केवट हुआ, उदित हुआ सौभाग्य।
बैठे उसकी नाव हरि ,किसका ऐसा भाग्य।।
15
देने केवट को प्रभु , मुद्रिका लीन निकाल ।
हाथ जोड़ केवट खड़ा , मन में लिए सवाल ।
16
देख मुद्रिका हाथ में, केवट हुआ अधीर।
हरनी है तो हरो हरि,जन्म -जन्म की पीर ।।
17
वापिस रख ली मुद्रिका,राम दिए मुस्काए ।
केवट ऐसे पुण्य से ,जन्म सफल हो जाए ।।
18
धार लिया प्रभु राम ने , वनवासी का भेष ।
ओर चले वन को प्रभु, करने काम अशेष ।।
19
अग्नि-परीक्षा दी सिया,दिया राम को ताप।
मानव बन रघु ने सहा, बड़ा घोर संताप ।।
20.
हनुमत के भी राम हैं, तुलसी के भी राम।
राम नाम जिसने भजा ,पाए तीर्थ धाम।।