मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
लगाए बैठी आस, मुझे मेरे राम मिलेंगे।
ढूंढती चारों धाम, मुझे मेरे राम मिलेंगे।
लगा बैठी हूं धुन ,मुझे मेरे राम मिलेंगे।
बिछाए बैठी नयन,मुझे मेरे राम मिलेंगे।।
लाखों दुखों को झेल ,मुझे मेरे राम मिलेंगे।
सखियां करें उपवास ,मुझे मेरे राम मिलेंगे।
सुनाऊं तेरी बात ,मुझे मेरे राम मिलेंगे ।
रट रही तेरा नाम ,मुझे मेरे नाम मिलेंगे।।
सारा जग गया जान ,मुझे मेरे राम मिलेंगे।
बना भाई का प्यार ,मुझे मेरे राम मिलेंगे।
मर्यादा रहते राम, मुझे मेरे राम मिलेंगे।
सहा खुश हो वनवास, मुझे मेरे राम मिलेंगे।।
सारे निभाएं वचन ,मुझे मेरे राम मिलेंगे ।
पूरी हुई है आस, मुझे मेरे राम मिलेंगे।
इतने बरस के बाद ,मुझे मेरे राम मिलेंगे ।
मिल गए मुझको राम ,मुझे मेरे राम मिले है।।
सीमा रंगा इन्द्रा हरियाणा