राम तुम फिर धरती पर आओ

राम तुम फिर धरती पर आओ

पुष्पक पर मत बैठे रह जाओ
रघुनंदन तुम उतर कर आओ
मल्लाहों और शबरी के संग
फिर से तुम कुछ प्रीत दिखाओ।

रावण फिर आज मुखर हुए हैं
आकर इनका मर्दन कर जाओ
लंका जिनकी स्वर्ण जटित है
उनको अग्नि कुंड दिखाओ।

मानवता पर छाया है संकट
दुष्टों ने तोड़ी हैं मर्यादाएं
मर्यादा जीवित हो फिर वापस
आकर तुम संजीवन बन जाओ।

राज्य तुम्हारा रहे निरंतर
राम चिरंतन , राम ही वंदन
देश – देश में राम – राज्य हो
ऐसी कोई व्यवस्था कर जाओ

सत्य – सनातन – धर्म संचलन
समता – मूलक भेद रहित चिंतन
जन – जन का मूलक उद्दबोधन
विचार – विथि कुछ ऐसी गढ़ जाओ।

रघुनंदन तुम फिर से आ जाओ
दैत्य – सोच का मर्दन कर जाओ
कोल – भील – वानर – भालू – वन – जीव
धरती पर सबको कल्याणित कर जाओ।

रघुनंदन तुम फिर से आ जाओ
रघुनंदन तुम फिर से आ जाओ ।

सुरेंद्र कुमार अरोड़ा ,
राम तुम फिर धरती पर आओ

पुष्पक पर मत बैठे रह जाओ
रघुनंदन तुम उतर कर आओ
मल्लाहों और शबरी के संग
फिर से तुम कुछ प्रीत दिखाओ।

रावण फिर आज मुखर हुए हैं
आकर इनका मर्दन कर जाओ
लंका जिनकी स्वर्ण जटित है
उनको अग्नि कुंड दिखाओ।

मानवता पर छाया है संकट
दुष्टों ने तोड़ी हैं मर्यादाएं
मर्यादा जीवित हो फिर वापस
आकर तुम संजीवन बन जाओ।

राज्य तुम्हारा रहे निरंतर
राम चिरंतन , राम ही वंदन
देश – देश में राम – राज्य हो
ऐसी कोई व्यवस्था कर जाओ

सत्य – सनातन – धर्म संचलन
समता – मूलक भेद रहित चिंतन
जन – जन का मूलक उद्दबोधन
विचार – विथि कुछ ऐसी गढ़ जाओ।

रघुनंदन तुम फिर से आ जाओ
दैत्य – सोच का मर्दन कर जाओ
कोल – भील – वानर – भालू – वन – जीव
धरती पर सबको कल्याणित कर जाओ।

रघुनंदन तुम फिर से आ जाओ
रघुनंदन तुम फिर से आ जाओ ।

सुरेंद्र कुमार अरोड़ा ,
9911127277