शीर्षक- सीता स्वयंवर
स्वयंवर रचा रहे जनक राजा जानकी विवाह को ।
राजकुमार आये अनेक जानकी विवाह को ।।
सीता स्वयंवर में उठाना था शिव जी के धनुष को।
आए अनेक राजा हिला ना पाए धनुष को ।
चिंता की रेखाएं विदेह के चेहरे पर कैसे विवाह हो ।। 1
स्वयंवर रचा रहे जनक राजा जानकी विवाह को ।।
गुरु विश्वामित्र ने आदेश दिया युवराज राम को ।
जाओ राम प्रयास करो रखो अयोध्या के मान को ।
उठो राम संधान करो तो पूरा सीता विवाह हो ।।
स्वयंवर रचा रहे जनक राजा जानकी विवाह को ।। 2
नमन गुरु को किया शिव धनुष उठा लिया ।
कुछ को हुआ डाह कुछ ने हर्ष प्रगट किया ।
टूटा प्रत्यंचा चढ़ाते ही शिव धनुष था सीता विवाह को ।।
स्वयंवर रचा रहे जनक राजा जानकी विवाह को ।।3
परशुराम आये क्रुद्ध हुए फिर मान जाते हैं।
जनक ने की घोषणा स्वयंवर राम जीत जाते हैं ।
वरमाला डाली सीता ने सम्पूर्ण देखो सीता विवाह को ।।
स्वयंवर रचा रहे जनक राजा जानकी विवाह को ।।
राजकुमार आये अनेक जानकी विवाह को ।। 4
रचनाकार-
प्रवल प्रताप सिंह राणा ‘प्रवल’
ग्रेटर नोएडा