जो राम का नहीं वो काम का नही ।।

राम राम


जो राम का नहीं वो काम का नही ।।
जो राम का नहीं वो काम का नहीं ।।


जन जन की साँस में राम राम है ,
आपसी विश्वास में राम राम है ,
राम मिल जाएंँगे पुकार के तो देख
भक्तों की आस में राम राम है ।
डर राम के संग परिणाम का नहीं ,
जो राम का नहीं वो काम का नहीं ।।

सुबह राम है और शाम राम है ,
नभ में चमकता दिनमान राम है ,
मानव के जीवन में पाप पुण्य का
और भले बुरे का प्रतिदान राम है।
मर्यादा बिन कोई राम का नहीं ।।
जो राम का नहीं वो काम का नहीं।।

जय सियाराम केवल नारा नहीं है,
राम जैसा नभ में सितारा नहीं है,
राम पावन भूमि राम गंगा जल है
राम भक्ति सम कोई धारा नहीं है।
लोभ राम भक्तों को नाम का नहीं।।
जो राम का नहीं वो काम का नहीं।।

छोटा सा इक काम करके तो देखिए ,
दोनों हाथ जोड़कर राम-राम बोलिए ,
मिल जाएगी दौलत दुनिया भर की
राम के लिए मन द्वार तो खोलिए।
जो राम का नहीं ,हिंदुस्तान का नहीं।।
जो राम का नहीं वो काम का नहीं।।


डॉ बबिता ‘किरण’