खुशियाँ मनाओ सब ,झूमि झूमि गाओ सब,
दीपक जलाओ अब ,राम सीता आये हैं ।
दौरि दौरि जात सब,नगर के वासी अब ,
झूमि झूमि नाच रहे,प्रेम ही के बस में ।
नर नारी चढ़ि रहे ,झाँकि झाँकि देख रहे ,
घर के झरोखन सों, छवि कूँ निहारें हैं ।
भरि भरि लात सब ,पुष्प दल देखो अब ,
राह में बिछावत हैं ,देखो सीया राम की ।
लोग बागि चढ़ि रहे,छज्जन अटारिन पे,
जय कार कर रहे,देखो सीता राम की।
विनीता लवानियाँ