भाईचारे की मिशाल
विष्णु के सुदर्शन चक्र ने,
लिया भरत रूप में अवतार।
भरत के चरित्र जैसा,
दूजा नहीं कोई चरित्र।
राम के भ्राता भरत,
भाईचारे की मिशाल।
प्रेम के प्रणेता,
उच्च विचारों वाले।
इसलिए राम के घट प्राण में
बसते सदा भाई भरत।
भरत नाम का अर्थ,
जो मेरे दिल ने माना…
भ-भरत
र- राम
त-तुम्हारे
कहते हैं होती कहीं जब राम कथा अनंत,
आकर बैठ जाते श्री हनुमान तुरंत।
लेकिन जब होता कहीँ भरत का गुणगान,
आकर बैठ जाते स्वंय श्री राम भगवान।
गंगा की तरह पावन यह चरित्र
इसको जितना ही सुनोगे,
उतनी होगी मन,वाणी पवित्र।
अपनी चिन्ता छोड़,
जो सबका सम्मान संभाले।
उसी भरत ने किया,
अपने को राम के हवाले।
अर्चना पाडंया
B-114
विजया अपार्टमेंट
अहिंसा खण्ड-2
near Shanti Gopal Hospital
इन्द्रिरापुरम
गाजियाबाद 201014