मेरे रघुवर राम जी
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मेरे रघुवर राम जी, आए अपने धाम।
मातृभूमि की गोद में, करने को विश्राम।।
रघुकुल राजा देखते, जीवन सुख को आज।
हर्षित उर रोमांच से, देख अवध का साज।।
सीता मैया लखन सहित, शोभित मेरे राम।
पुण्य अयोध्या धाम पर, पूर्ण करेंगे काम।।
चरणधूलि धरुँ माथ पर, कृपा करो हे राम।
सभी जलाए दीप मिल, खुश होना भगवान।।
निर्धन दुर्बल हो सुखी, कभी न हो ये विपन्न।
यही सोच कर राम जी, लाएँ सारे अन्न।
रघुवर जैसा विश्व में, सीता सम भी कौन।
मंत्र – मुग्ध सब भक्त हैं, करें मनोरथ मौन।।
जनकदुलारी कुलवधू , कर सोलह श्रृंगार।
प्रभु के संग विराजकर, धारे कुल का भार।।
अतिपावन नगरी हुई, करते सभी प्रणाम ।
पुण्य अयोध्या धाम में, दर्शन देंगे राम।।
वाल्मीकि गुरुदेव के, पद पंकज रख माथ।
यज्ञ करें सब ऋषि मुनि, देवगणों के साथ।।
एक मनोरथ प्रभु यही, लीजे “शशि” निहार।
शेष श्वास ये जो बचा, दूँ चरणों में वार।।
डॉ० (कु०) शशि जायसवाल
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ।
@स्वरचित एवं अप्रकाशित मौलिक सृजन
दिनांक – 19/02/2024