हमें भी राम बनना है
पढ़कर राम को लगता है हमको
हमें भी राम बनना है,
कि युग युग तक रहे भारत
हमें वो काम करना है।
सीखेंगे राम को हम कि राम सा चरित्र हो पाए,
गुरु चरणों में ही जीवन समर्पित आज हो पाए।
चुनेंगे राह वह जो सत्य और धर्म की राह हो,
कठिन कितनी हो राहें, नहीं अब हमको डरना है।
कि युग युग तक रहे भारत……
निज देश की खातिर समर्पित जान हो जाए,
शत्रु हो बलवान कितना, अर्पित प्राण हो जाएँ।
तुणीर में हों बाण जितने, नहीं अब पीछे हटना है।
देश पर ही न्योछावर, तन-मन- धन प्राण करना है।
कि युग युग तक रहे भारत हमें वो काम करना है
कि ऐसी मातृभक्ति-पितृभक्ति क्या कोई कर पाएगा?
एक आदेश पर जीवन समर्पित क्या कोई कर पाएगा?
बरस चौदह मिले वन के, जिसे वो राज मिलना था,
त्यागा था अवध को विश्व की खातिर,
कि विश्व को ‘राम’ मिलना था।
कि उनकी राह पर चलकर हमें वो भाव धरना है,
कि युग-युग तक रहे भारत हमें वो काम करना है।
ऐसा कौन है जो, भाई की खातिर त्याग सब जाए,
छोड़कर राज सारा वन को, वह यूं ही चला जाए,
कि आओ भातृ प्रीति, राम जी से आज हम सीखे,
अहम को छोड़कर, धर्म रीति आज हम सीखें,
त्याग कर लालसा सारी, हमें इस मार्ग चलना है,
कि युग युग तक रहे भारत, हमें वो काम करना है,
प्रीति हो राम के जैसी सभी की भावना ऐसी,
रहे यूं ही अमर जोड़ी सिया और राम के जैसी,
सिया और राम के नक्शे कदम पर हमको चलना है,
कि युग युग तक रहे भारत हमें वो काम करना है।
कि पढ़ कर राम को लगता है हमको हमें भी राम बनना है,
कि युग युग तक रहे भारत हमें वो काम करना है,
कि युग युग तक रहे भारत हमको काम करना है।
कि युग युग तक…..
कि युग युग तक…..
रश्मि ममगाई