चरणों को छूने का मन हो,
तो कैसे हम छुए पाएं।
हे राम बता दो वह रस्ते,
जो तुम तक पहुंचाएं।
तुम प्रेम स्रोत हो मेरे प्रभु
नाम तिहारा मैं भजती ।
शबरी, मीरा, सीता जैसी
भक्ति नंही मुझको आती।
अनुपम पावन पावनतम हो
हर रूप तुम्हारा अद्भुत है
पर दर्शन क्यों दुर्लभ हैं।
किस भांति करूं तेरी पूजा
सोच ये अखिंयाँ भर आएँ।
हे राम बता दो वह रस्ते,
जो तुम तक पहुंचाएं।
वन उपवन पर्वत भटके हो
सन्मार्ग हमें दिखलाने को।
निर्बल की रक्षा करने को
सीता का पता लगाने को ।
जब तक तन में प्राण रहे
मन से तुमको ही ध्याएं।
हे राम बता दो वे रस्ते,
जो तुम तक पहुंचाएं।
करूं सहज भाव से मैं अर्पण
भक्ति तुम्हारे चरणों में।
हे दिव्य रूप हे दीनबंधु
कृपा आपकी मिल जाए।।
माया ठगिनी हर पल ठगती
डर लगे न कहीं भटक जाएं।
हे राम बता दो वे रस्ते,
जो तुम तक पहुंचाएं।
चरणों को छूने का मन हो,
तो कैसे हम छुए पाएं।
हे राम बता दो वह रस्ते,
जो तुम तक पहुंचाएं।
प्रीति मिश्रा