जय श्री राम।
1*
इच्छवाकु वंश रघुकुल दशरथ,
नृप अयोध्या के थे समरथ,
रानी कौशल्या की गोद में,
राजभवन पुलकित अमोद में
प्रगट भये कैकयी के राम,
दसों दिशा है जिनका नाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
2*
वय केवल थी आठ बरस की,
गुरु वशिष्ठ के आये काम,
दुष्ट आचरण दानव मारे,
सुर देवों ने किया प्रणाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम….
3*
राम भरत अरु लखन शत्रुघ्न,
नगर अयोध्या के थे जीवन,
गुरु कुल में यह शिक्षा पायी,
कोऊ अति न कोऊ अकिंचन,
शुभ घड़ी शुभ सुचि मुहुर्त विचारा,
जनक सुता का प्रेम सँवारा,
तनिक न होती भृकुटी तिरछी,
रूप ललित करता उजियारा,
प्रति मूरत थी सिया वैदेही,
अधर थिरकते थे अविराम.
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
4*
दशरथ निरख शिथिल काया को ,
यह आदेश दिया माया को,
बहु प्रतिक्षित घड़ी आ गयी,
राजतिलक कौशल जाया को,
सुमन्त, करेंगे हम विश्राम,
जय श्रीराम जय श्रीराम………..
5*
किन्तु समय प्रबल प्रतिहारी,
रखे दृष्टि में साइत सारी,
वन गमन की बेला रख दी,
हुये राम जी लीला धारी,
तीनों लोक थे पुलकित मन में,
स्वर्ग सजेगा निर्जन वन में,
टेर सुनेंगे हरि शबरी की,
रटती है जो सुबह-शाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम………….
6*
ज्ञानी रावण सीता हर गया,
विधि विद्रोही कार्य कर गया,
घट गयी तब ही उसकी आयु,
देख जटायु दानव डर गया,
मृत्यु लेकर पँख चली गयी,
विनाश काले मति छली गयी,
प्रभु-भ्रात बिलखत बन डोले,
शोक वाटिका जनक लली गयी,
पँछी-वृक्ष, हिरन उदासे,
अम्बर भी था चुप्पी थाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
7*
अँजनी पुत्र पवनसुत आये,
ढांढ़स दीन्हा वचन सुझायें,
मुंदरी दिये बार दी लँका,
अरु लंकेश बहुत घबराये,
बनी योजना विजय दलाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
8*
दशानन के शीश उतारे,
अभय,सुर,नर, मुनि पर वारे,
वृक्ष हिरण वन पाखुर
चहके,
चमके पुण्य रूप में तारे
नदियां लहरीं,खेत सुहाये,
प्रमुदित हुये भाव निष्काम.
जय श्रीराम जय श्रीराम………
गोपाल देव नीरद , सरस्वती नगर,
बालाघाट म.प्र.
481001
जय श्री राम।
1*
इच्छवाकु वंश रघुकुल दशरथ,
नृप अयोध्या के थे समरथ,
रानी कौशल्या की गोद में,
राजभवन पुलकित अमोद में
प्रगट भये कैकयी के राम,
दसों दिशा है जिनका नाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
2*
वय केवल थी आठ बरस की,
गुरु वशिष्ठ के आये काम,
दुष्ट आचरण दानव मारे,
सुर देवों ने किया प्रणाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम….
3*
राम भरत अरु लखन शत्रुघ्न,
नगर अयोध्या के थे जीवन,
गुरु कुल में यह शिक्षा पायी,
कोऊ अति न कोऊ अकिंचन,
शुभ घड़ी शुभ सुचि मुहुर्त विचारा,
जनक सुता का प्रेम सँवारा,
तनिक न होती भृकुटी तिरछी,
रूप ललित करता उजियारा,
प्रति मूरत थी सिया वैदेही,
अधर थिरकते थे अविराम.
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
4*
दशरथ निरख शिथिल काया को ,
यह आदेश दिया माया को,
बहु प्रतिक्षित घड़ी आ गयी,
राजतिलक कौशल जाया को,
सुमन्त, करेंगे हम विश्राम,
जय श्रीराम जय श्रीराम………..
5*
किन्तु समय प्रबल प्रतिहारी,
रखे दृष्टि में साइत सारी,
वन गमन की बेला रख दी,
हुये राम जी लीला धारी,
तीनों लोक थे पुलकित मन में,
स्वर्ग सजेगा निर्जन वन में,
टेर सुनेंगे हरि शबरी की,
रटती है जो सुबह-शाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम………….
6*
ज्ञानी रावण सीता हर गया,
विधि विद्रोही कार्य कर गया,
घट गयी तब ही उसकी आयु,
देख जटायु दानव डर गया,
मृत्यु लेकर पँख चली गयी,
विनाश काले मति छली गयी,
प्रभु-भ्रात बिलखत बन डोले,
शोक वाटिका जनक लली गयी,
पँछी-वृक्ष, हिरन उदासे,
अम्बर भी था चुप्पी थाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
7*
अँजनी पुत्र पवनसुत आये,
ढांढ़स दीन्हा वचन सुझायें,
मुंदरी दिये बार दी लँका,
अरु लंकेश बहुत घबराये,
बनी योजना विजय दलाम,
जय श्रीराम जय श्रीराम…………..
8*
दशानन के शीश उतारे,
अभय,सुर,नर, मुनि पर वारे,
वृक्ष हिरण वन पाखुर
चहके,
चमके पुण्य रूप में तारे
नदियां लहरीं,खेत सुहाये,
प्रमुदित हुये भाव निष्काम.
जय श्रीराम जय श्रीराम………
गोपाल देव नीरद , सरस्वती नगर,
बालाघाट म.प्र.
481001