— आल्हा छंद —
राम नाम का प्यारा भाषी,
जग में अपनी अलख जगाय।
राम राम को रटते रटते,
भव सागर को पार लगाय।।
राम सत्य है राम हि ईश्वर,
राम नाम की महिमा जान।
तर गय भोले भाले मानव,
पाकर तुलसी सा सम्मान।।
राम ने शिव कि अलख जगाई,
शिव ने राम हि पूजा रोज।
सत्य सनातन भाव अनादी,
सास्वत कौन यहाँ है खोज।।
सत्य हि ईश्वर, प्रेम हि ईश्वर,
यही ईश की है पहचान।
जिसने निज आतम को खोजा,
हुआ जगत में वही महान।।
राम हुये इक दशरथ नंदन,
जिनके भरत लखन से भाय।
सिया जानकी भार्या जिनकी,
कौशल्या कैकेयी सी माय।।
सत्य असत्य कि हार जीत थी,
राम और रावण का युद्ध।
सीता तो पवित्र पावन थीं,
और चरित्र से निर्मल शुद्ध।।
राम राज्य की करो कल्पना,
सब आदर्शों का गुणगान।
भारत कि मधुरिम भूमि पर,
हुआ सत्य का युग निर्माण।।
नगर अयोध्या धन्य हुआ है,
लीने राम जहाँ अवतार।
नर नारी सब भविजन पूजे,
पूज रहा सारा संसार।।
राम लला की जन्मभूमि पर,
भव्य बना है मंदिर आज।
हुई धर्म की प्राण प्रतिष्ठा,
अरु आनंदित हुआ समाज।।
कल कल बहती सरयू सरिता,
यहि साक्षी जिनकी जान।
दीपों से जब सजे अयोध्या,
गर्वित होता हिंदुस्तान।।
कवयित्री —
सरिता सिंघई “कोहिनूर”
वारासिवनी- बालाघाट म.प्र.