प्रभु राम
राक्षसो को मारने के लिए घूमें जंगलों में,
केवट का मिला उनको अपार प्यार था।
चौदह बरस का मिला था उन्हें बनवास,
मारकर दानवों को किया उपकार था।
रावण का वध करने के लिए राम जी ने,
किया दसकंधर पे भीषण प्रहार था।
लखन व जानकी को सकुशल लाए घर,
धरा को बचाया किया दुष्टों का संहार था।।
भगवान राम का जो करते यहाँ विरोध,
राम सम कोई नहीं उन्हें बतलाइए।
खाते जिस थाली में हैं उसमें ही छेद करें,
ऐसे देशद्रोहियों से देश को बचाइए।
जिनको न प्यार रंचमात्र माता भारती से ,
उन सभी को ये बार बार समझाइए।
जननी व जन्मभूमि से न बढ़कर कोई,
यही मूलमंत्र आप सबको बताइए।।
डॉ. विद्यासागर मिश्र” सागर”
सीतापुर/ लखनऊ, उत्तर प्रदेश।