क्या है कोई मेरे प्रभु जैसा जहान में,
हैं सर्वोपरि वह तो महनों में महान हैं।
कहलाते मर्यादा पुरुषोत्तम,
प्रतीक प्रेम के वो अति उत्तम ,
धर्म-कर्म है कौन सा
जिसमें मेरे राम नहीं है सर्वोत्तम ।
क्या कोई तीनो लोक में उनके समान है।
हैं वो सर्वोपरि वह तो महानों में महान हैं।
सीता सुकुमारी कोमल सी कली ,
जनक महल में नाज़ों से पली ,
पल में तज राजपाट देखो
संग पिया चौदह वर्ष को वनवास चली ।
उनके तेज से रावण भी अवाक है ।
है सर्वोपरि वो तो महान में महान हैं ।
हो कोई भी पल, बस राम _राम जपो,
ना बोला जाए तो मरा _मरा ही कहो,
हैं इतने दयालु राम, पाओगे उनका धाम,
फिर बस तुम अब बेफिक्र ही रहो
समझो होने वाला तुम्हारा विहान है।
हैं सर्वोपरि वह तो महानों में महान हैं।
स्वराचित मौलिक रचना
अलका गुप्ता “अक्की”