आठों याम राम हैं

बसंत कुमार शर्मा
जबलपुर

श्रावणी फुहार सर्दियों की घाम राम हैं.
काम अर्थ धर्म मोक्ष चारों धाम राम हैं.

भक्त के लिए तो राम हैं प्रतीक प्रेम का,
नाक में नकेल दुष्ट को लगाम राम हैं.

जानकी के उर में जो विराजमान हैं सदा,
दूसरा न कोई और राम, राम, राम हैं.

शक्ति है अपार पा सका न पार कोई भी,
है न मन में कामना सदा अकाम राम हैं.

जिंदगी की रेल रोज दौड़ती यहाँ-वहाँ,
मंजिलें अनेक आखिरी मुकाम राम हैं.

मन में है ख़ुशी अनंत ज़िंदगी ‘बसंत’ है,
जो बसे हुए हृदय में आठों याम राम हैं