श्रीराम लौट कर आए,ख़ुशी अवध में भारी है।
घाट सजे हैं सरयु के दीपोत्सव की तैयारी है।।
विष्णु के अवतार राम हैं लक्ष्मी माता जानकी
शेषनाग अवतार लक्ष्मण और भक्त हनुमान की
अद्भुत रूप छवि मनोहर,झाँकी सुंदर,प्यारी है।
कौशल्या केकैई सुमित्रा, माता सब हर्षाईं हैं
चौदह बरस बाद आज शुभ घड़ी यह आई है
सजी अयोध्या दुल्हन सी छटा बहुत ही न्यारी है।
भाग्य जगे हैं भक्तों के श्रीराम सदा सहाई हैं
पाँच सौ वर्ष बाद अब शुभ घड़ी यह आई है
खुशियों की बगिया महकी,नाच रहे नर नारी हैं।
मंदिर का निर्माण हो रहा,रामराज्य फिर आएगा
हर कोई अब प्रभु राम की जय-जयकार गाएगा
दीयों की जगमग छाई,श्रीराम दरस सुखकारी हैं।
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित रचना:
चंचल हरेंद्र वशिष्ट , हिंदी प्राध्यापिका एवं कवयित्री
नई दिल्ली ,भारत