शुभ दीपोत्सव बेला

मनाओ घर घर दिवाली,अवध श्रीराम आए हैं
छाई हर ओर खुशहाली,प्रभु श्री राम आए हैं।

मात कौशल्या के जाये,लौट वनवास से आए
अवधपुरी ख़ूब सजाओ रे दशरथ सुत राम आए हैं।

पांच सौ बरस बिता कर न्याय मिला अब कलयुग में भाई
आएगा फिर से रामराज्य ये विश्वास लाए हैं।

सरयु के घाट सजे हैं,प्रभु राम के स्वागत को आतुर
बेला है शुभदीपोत्सव की,प्रभु श्रीराम आए हैं।

त्रेता में रावण को मारा,कंस द्वापर में संहारा
दुष्टों का अब फिर करने नाश,प्रभु श्रीराम आए हैं।

सँवारे काज मुनियों के, किया उद्धार जगतका
भवसागर से करनेे पार,प्रभु श्रीराम आए हैं।

दीयों के थाल सजाओ सब,मंगल आरती गाओ रे
मिलकर उत्सव मनाओ आज अयोध्या धाम आए हैं।

हुए सब हर्षित नर नारी,अवध में उत्साह है भारी
जगत कल्याण करने को सियापति राम आए हैं।

स्वरचित,मौलिक एवं अप्रकाशित:
चंचल हरेन्द्र वशिष्ट,हिन्दी प्राध्यापिका,थियेटर प्रशिक्षक एवं कवयित्री
आर के पुरम, नई दिल्ली